शायद इसी बाइस हुईं पत्थर मिरी आँखें By Sher << मौसम-ए-गुल का मगर क़ाफ़िल... ज़िंदगी क्या है इक कहानी ... >> शायद इसी बाइस हुईं पत्थर मिरी आँखें जो कुछ कि मुझे देखना था देख लिया है Share on: