शायद ज़बाँ पे क़र्ज़ था हम ने चुका दिया By Sher << उन से मायूस-ए-इल्तिफ़ात न... हँस हँस के उस से बातें कि... >> शायद ज़बाँ पे क़र्ज़ था हम ने चुका दिया ख़ामोश हो गए हैं तुझे हम पुकार के Share on: