शायद उसी का ज़िक्र हो यारो मैं इस लिए By Sher << मैं शौक़-ए-वस्ल में क्या ... सुब्ह से खोद रहा हूँ घर क... >> शायद उसी का ज़िक्र हो यारो मैं इस लिए सुनता हूँ गोश-ए-दिल से हर इक मर्द-ओ-ज़न की बात Share on: