शायद ये इंतिज़ार की लौ फ़ैसला करे By इंतिज़ार, Sher << तुझ से बिछड़ूँ तो कोई फूल... क़ुर्बतें रेत की दीवार है... >> शायद ये इंतिज़ार की लौ फ़ैसला करे मैं अपने साथ हूँ कि दरीचों के साथ हूँ Share on: