शायरी तलब अपनी शायरी अता उस की By Sher << ये दिल भी दोस्त ज़मीं की ... इस जबीन-ए-अरक़-अफ़्शाँ पे... >> शायरी तलब अपनी शायरी अता उस की हौसले से कम माँगा ज़र्फ़ से सिवा पाया Share on: