शिकवा-ए-ग़म तिरे हुज़ूर किया By Sher << तासीर-ए-बर्क़-ए-हुस्न जो ... शेर मेरे भी हैं पुर-दर्द ... >> शिकवा-ए-ग़म तिरे हुज़ूर किया हम ने बे-शक बड़ा क़ुसूर किया Share on: