सिमटे हुए जज़्बों को बिखरने नहीं देता By Sher << बे-हिसी पर मिरी वो ख़ुश थ... कारवाँ तो निकल गया कोसों >> सिमटे हुए जज़्बों को बिखरने नहीं देता ये आस का लम्हा हमें मरने नहीं देता Share on: