सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं By Sher << इसी मज़मून से मालूम उस की... गर ठहरे मलक आगे उन्हों के... >> सिर्फ़ उस के होंट काग़ज़ पर बना देता हूँ मैं ख़ुद बना लेती है होंटों पर हँसी अपनी जगह Share on: