सिवा तेरे हर इक शय को हटा देना है मंज़र से By Sher << तअल्लुक़ तोड़ने में पहल म... शाम-ए-विदाअ थी मगर उस रंग... >> सिवा तेरे हर इक शय को हटा देना है मंज़र से और इस के ब'अद ख़ुद को बे-सर-ओ-सामान करना है Share on: