सियाह रात के पहलू में जिस्म के अंदर By Sher << इस शहर के बादल तिरी ज़ुल्... कभी हम से कभी ग़ैरों से श... >> सियाह रात के पहलू में जिस्म के अंदर किसी गुनाह की ख़्वाहिश को पालते रहना Share on: