सूख कर रह गया है काग़ज़ वार By Sher << सुल्ह-ए-कुल में मिरी गुज़... सोच दिन रात यही है तिरे द... >> सूख कर रह गया है काग़ज़ वार मरज़-ए-रिश्ता है जो मिस्तर को Share on: