सुख़न राज़-ए-नशात-ओ-ग़म का पर्दा हो ही जाता है By Sher << दुनिया-ए-हादसात है इक दर्... तब्दीलियों का नश्शा मुझ प... >> सुख़न राज़-ए-नशात-ओ-ग़म का पर्दा हो ही जाता है ग़ज़ल कह लें तो जी का बोझ हल्का हो ही जाता है Share on: