सुकून-ए-क़ल्ब तो किया है क़रार-ए-जाँ भी लुटा By Sher << बार-ए-ख़ातिर ही अगर है तो... रक़्स करते हुए बगूलों में >> सुकून-ए-क़ल्ब तो किया है क़रार-ए-जाँ भी लुटा तुम्हारी याद भी आई तो राहज़न की तरह Share on: