सुनता हूँ बड़े ग़ौर से अफ़्साना-ए-हस्ती By Sher << इतने घने बादल के पीछे हम हैं और मजनूँ अज़ल से ख... >> सुनता हूँ बड़े ग़ौर से अफ़्साना-ए-हस्ती कुछ ख़्वाब है कुछ अस्ल है कुछ तर्ज़-ए-अदा है Share on: