सुनता हूँ न कानों से न कुछ मुँह से हूँ बकता By Sher << शैख़ मुझ को न डरा अपनी मु... फिर छिड़ी रात बात फूलों क... >> सुनता हूँ न कानों से न कुछ मुँह से हूँ बकता ख़ाली है जगह महफ़िल-ए-तस्वीर में मेरी Share on: