सुनते हैं कि काँटे से गुल तक हैं राह में लाखों वीराने Admin शहर पे शायरी, Sher सुनते हैं कि काँटे से गुल तक हैं राह में लाखों वीराने कहता है मगर ये अज़्म-ए-जुनूँ सहरा से गुलिस्ताँ दूर नहीं This is a great सुनना शायरी. Share on: