सुपुर्दगी का वो लम्हा कभी नहीं गुज़रा By Sher << मेरे आँसू के पोछने को मिय... जल्वे का तेरे वो आलम है क... >> सुपुर्दगी का वो लम्हा कभी नहीं गुज़रा हज़ार बार मरे हम हज़ार बार जिए Share on: