सुराही-ए-मय-ए-नाब-ओ-सफीना-हा-ए-ग़ज़ल By Sher << हम उन की आस पे उम्रें गुज... आँखों का था क़ुसूर न दिल ... >> सुराही-ए-मय-ए-नाब-ओ-सफीना-हा-ए-ग़ज़ल ये हर्फ़-ए-हुस्न-ए-मुक़द्दर लिखा है किस के लिए Share on: