'शकील' हिज्र के ज़ीनों पे रुक गईं यादें By Sher << कुछ दर्द की शिद्दत है कुछ... ऐ सुब्ह मैं अब कहाँ रहा ह... >> 'शकील' हिज्र के ज़ीनों पे रुक गईं यादें इसी मक़ाम पर आ कर ठहर गई शब भी Share on: