तबीअत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में By Sher << ज़मीं के गिर्द भी पानी ज़... मुझ को मस्त-ए-शराब होना थ... >> तबीअत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में हम ऐसे में तिरी यादों की चादर तान लेते हैं Share on: