तहज़ीब की ज़ंजीर से उलझा रहा मैं भी By Sher << उन से मिलते थे तो सब कहते... हम ही उन को बाम पे लाए और... >> तहज़ीब की ज़ंजीर से उलझा रहा मैं भी तू भी न बढ़ा जिस्म के आदाब से आगे Share on: