तक़लीद अब मैं हज़रत-ए-वाइज़ की क्यूँ करूँ By Sher << तिरी कोशिश हम ऐ दिल सई-ए-... तमाम अंजुमन-ए-वाज़ हो गई ... >> तक़लीद अब मैं हज़रत-ए-वाइज़ की क्यूँ करूँ साक़ी ने दे दिया मुझे फ़तवा जवाज़ का Share on: