तकमील-ए-आरज़ू से भी होता है ग़म कभी By Sher << अगर तेरी तरह तब्लीग़ करता... 'सहर' अब होगा मेर... >> तकमील-ए-आरज़ू से भी होता है ग़म कभी ऐसी दुआ न माँग जिसे बद-दुआ कहें Share on: