तलाक़ दे तो रहे हो इताब-ओ-क़हर के साथ By Sher << ऐ चर्ख़ बे-कसी पे हमारी न... मैं तिरे दाएँ बाएँ रहता ह... >> तलाक़ दे तो रहे हो इताब-ओ-क़हर के साथ मिरा शबाब भी लौटा दो मेरी महर के साथ Share on: