तलाश-ए-ला-मकाँ में उड़ रहा हूँ By Sher << ग़ुरूब-ए-शाम तो दिन भर के... मैं तिरे शहर से गुज़रा हू... >> तलाश-ए-ला-मकाँ में उड़ रहा हूँ मगर मुझ से मकाँ लिपटा हुआ है Share on: