तलातुम आरज़ू में है न तूफ़ाँ जुस्तुजू में है By Sher << माज़ी से उभरीं वो ज़िंदा ... मुझ से तो दिल भी मोहब्बत ... >> तलातुम आरज़ू में है न तूफ़ाँ जुस्तुजू में है जवानी का गुज़र जाना है दरिया का उतर जाना Share on: