तअल्लुक़ की नई इक रस्म अब ईजाद करना है By Sher << सहरा में बसे सब दीवाने शह... नासेह यहाँ ये फ़िक्र है स... >> तअल्लुक़ की नई इक रस्म अब ईजाद करना है न उस को भूलना है और न उस को याद करना है Share on: