तंगी-ए-हैअत से टकराता हुआ जोश-ए-मवाद By Sher << ख़ुश हूँ कि मिरा हुस्न-ए-... याद अश्कों में बहा दी हम ... >> तंगी-ए-हैअत से टकराता हुआ जोश-ए-मवाद शायरी का लुत्फ़ आ जाता है छोटी बहर में Share on: