तर रखियो सदा या-रब तू इस मिज़ा-ए-तर को By Sher << मुद्दतें क़ैद में गुज़रीं... सीने से लगाएँ तुम्हें अरम... >> तर रखियो सदा या-रब तू इस मिज़ा-ए-तर को हम इत्र लगाते हैं गर्मी में इसी ख़स का Share on: