तस्ख़ीर-ए-चमन पर नाज़ाँ हैं तज़ईन-ए-चमन तो कर न सके By Sher << धर के हाथ अपना जिगर पर मै... बे पिए ही शराब से नफ़रत >> तस्ख़ीर-ए-चमन पर नाज़ाँ हैं तज़ईन-ए-चमन तो कर न सके तसनीफ़ फ़साना करते हैं क्यूँ आप मुझे बहलाने को Share on: