तेरा ही रक़्स सिलसिला-ए-अक्स-ए-ख़्वाब है By Sher << जो मेरा झूट है अक्सर मिरे... शहर गुम-सुम रास्ते सुनसान... >> तेरा ही रक़्स सिलसिला-ए-अक्स-ए-ख़्वाब है इस अश्क-ए-नीम-शब से शब-ए-माहताब तक Share on: