तीरा-ओ-तार ख़लाओं में भटकता रहा ज़ेहन By Sher << तिरा ग़ुरूर झुक के जब मिल... बाग़ में जा कर देख लिया >> तीरा-ओ-तार ख़लाओं में भटकता रहा ज़ेहन रात सहरा-ए-अना से मैं हिरासाँ गुज़रा Share on: