तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़ By हुस्न, Sher << हर-चंद हो मुशाहिदा-ए-हक़ ... मोहब्बत में किसी ने सर पट... >> तेरे होते हुए महफ़िल में जलाते हैं चराग़ लोग क्या सादा हैं सूरज को दिखाते हैं चराग़ Share on: