तेरे शबाब ने किया मुझ को जुनूँ से आश्ना By Sher << इक वडेरा कुछ मवेशी ले के ... ज़ेहन ओ दिल के फ़ासले थे ... >> तेरे शबाब ने किया मुझ को जुनूँ से आश्ना मेरे जुनूँ ने भर दिए रंग तिरी शबाब में Share on: