तेरे वादे को कभी झूट नहीं समझूँगा By Sher << पी के ऐ वाइज़ नदामत है मु... मैं इस दीवार पर चढ़ तो गय... >> तेरे वादे को कभी झूट नहीं समझूँगा आज की रात भी दरवाज़ा खुला रक्खूँगा Share on: