तेरी बातों को छुपाना नहीं आता मुझ से By Sher << शायद इक भूली तमन्ना मिटते... बार-ए-ख़ातिर ही अगर है तो... >> तेरी बातों को छुपाना नहीं आता मुझ से तू ने ख़ुश्बू मिरे लहजे में बसा रक्खी है Share on: