था अनल-हक़ लब-ए-मंसूर पे क्या आप से आप By Sher << वक़्त का पत्थर भारी होता ... एहसान ना-ख़ुदा का उठाए मि... >> था अनल-हक़ लब-ए-मंसूर पे क्या आप से आप था जो पर्दे में छुपा बोल उठा आप से आप Share on: