थे बयाबान-ए-मोहब्बत में जो गिर्यां आह हम By Sher << राह-ए-उल्फ़त में मुलाक़ात... उस से बिछड़ते वक़्त मैं र... >> थे बयाबान-ए-मोहब्बत में जो गिर्यां आह हम मंज़िल-ए-मक़्सूद को पहुँचे तरी की राह हम Share on: