थी पाँव में कोई ज़ंजीर बच गए वर्ना By Sher << ख़ुश्बू वो पसीने की तिरी ... तिरी मोहब्बत में गुमरही क... >> थी पाँव में कोई ज़ंजीर बच गए वर्ना रम-ए-हवा का तमाशा यहाँ रहा है बहुत Share on: