थी यूँ तो शाम-ए-हिज्र मगर पिछली रात को By Sher << वो इंतिज़ार की चौखट पे सो... सबा ये उन से हमारा पयाम क... >> थी यूँ तो शाम-ए-हिज्र मगर पिछली रात को वो दर्द उठा 'फ़िराक़' कि मैं मुस्कुरा दिया Share on: