है ये पुर-दर्द दास्ताँ 'महरूम' By Sher << करूँ क़त्-ए-उल्फ़त बुतों ... मौसम तुम्हारे साथ का जाने... >> है ये पुर-दर्द दास्ताँ 'महरूम' क्या सुनाएँ किसी को हाल अपना Share on: