तिरा करम है जो साया-फ़गन तो क्या ग़म है By Sher << किस से करूँ मैं अपनी तबाह... जो कम-निगाह थे वही अहल-ए-... >> तिरा करम है जो साया-फ़गन तो क्या ग़म है हज़ार बार मिरे सर से आसमाँ गुज़रे Share on: