तिरे होंटों के सहरा में तिरी आँखों के जंगल में By Sher << तू फ़राहम न हो मुझ को ये ... तमाम शहर की आँखों में रेज... >> तिरे होंटों के सहरा में तिरी आँखों के जंगल में जो अब तक पा चुका हूँ उस को खोना चाहता हूँ मैं Share on: