तिरे ख़याल के हाथों कुछ ऐसा बिखरा हूँ By Sher << मय पी के ईद कीजिए गुज़रा ... वो वादे याद नहीं तिश्ना ह... >> तिरे ख़याल के हाथों कुछ ऐसा बिखरा हूँ कि जैसे बच्चा किताबें इधर उधर कर दे Share on: