तिरे वादों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए By Sher << तस्कीन-ए-दिल-ए-महज़ूँ न ह... दाद-ओ-तहसीन का ये शोर है ... >> तिरे वा'दों पे कहाँ तक मिरा दिल फ़रेब खाए कोई ऐसा कर बहाना मिरी आस टूट जाए Share on: