तिरी बज़्म-ए-तरब में आ गया हूँ By Sher << साथ दुनिया का नहीं तालिब-... दिल-ए-तबाह में आबाद है ज़... >> तिरी बज़्म-ए-तरब में आ गया हूँ मगर दिल को सुकूँ हासिल नहीं है Share on: