तू भी तो हटा जिस्म के सूरज से अंधेरे By Sher << रिस रहा है मुद्दत से कोई ... अभी आए अभी जाते हो जल्दी ... >> तू भी तो हटा जिस्म के सूरज से अंधेरे ये महकी हुई रात भी महताब-ब-कफ़ है Share on: