तू दिल पे बोझ ले के मुलाक़ात को न आ By Sher << तुम अपने दोस्तों के ज़रा ... तू और चश्म-ए-लुत्फ़ नई वा... >> तू दिल पे बोझ ले के मुलाक़ात को न आ मिलना है इस तरह तो बिछड़ना क़ुबूल है Share on: