तू कहाँ है तुझ से इक निस्बत थी मेरी ज़ात को By Sher << पीरी में 'रियाज़'... मैं जो हूँ 'जौन-एलिया... >> तू कहाँ है तुझ से इक निस्बत थी मेरी ज़ात को कब से पलकों पर उठाए फिर रहा हूँ रात को Share on: