तू ला-मकाँ में रहे और मैं मकाँ में असीर By Sher << जाती थी कोई राह अकेली किस... मैं आज कल के तसव्वुर से श... >> तू ला-मकाँ में रहे और मैं मकाँ में असीर ये क्या कि मुझ पे इताअत तिरी हराम हुई Share on: